सरकार के एकठन आदेस घूमत हे तेला पढ़के गुरजी मन के चेत हरागे हे। जौन गुरुजी के 12वीं अऊ कालेज मा 50 परतिसत ले कम नम्बर होही तौन ल परीच्छा देय बर परही।बिन डी एड,बी एड के परीच्छा पास करे गुरुजी बन गेहे वहू ल परीच्छा पास करेबर परही नहीं त ओकर छुट्टी कर दे जाही।15-18 बच्छर ले जौन गुरुजी ह लइका मन ल पढ़ात हे,ओकर पढ़ाय लइका मन डाक्टर, इंजीनियर, पुलिस, सैनिक, मास्टर, पटवारी बन गे हे। ओला अब परीच्छा देयबर परही। अइसे गुरु के परीच्छा आदिकाल से होवत आवत हे ।द्रोणाचार्य , कृपाचार्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र, परसुराम ,वेदव्यास…फेर ओकर परीच्छा चेला के माध्यम से होवय, कोन गुरु श्रेष्ठ हे? जौन गुरुजी के चेला सर्वश्रेष्ठ राहय ओला पदवी देय जाय।बने बात आय बिन परीच्छा के गुरुजी कइसे बनही? सरकार ह 1998 ले 2007 तक बिन परीच्छा के गुरुजी बनात रहिस।गुरुजी मन के भरती करत रहिस।पाछू परीच्छा ले के गुरुजी के भरती होइस। सरकार सिच्छा के इस्तर ल बढ़ाय बर बेरा कुबेरा गुरुजी के भरती करथे। फेर दुमुही गोठ होथे, एक गुरुजी बने बर परिच्छा दूसर चेला मन ल सुभीता। कोनो लइका ल फेल नइ करना हे।इस्कूल मा जतका लइका के नांव हावय सबो के सबो पास होही। तब का जतका झन गुरुजी बने बर परीच्छा देवाही सबो के सबो ल गुरुजी बना दे जाय? जोन मन फारम नइ भरे हे ओमन गुरुजी बने के लइक नइ हे? गुरुजी के लच्छन काय होना चाही ? पढ़ाई मा हुसियार अउ परिच्छा मा जादा नम्बर पाय ले ओमा गुरुजी के लच्छन मिल जाही।कतको झन फरजी कालेज ले गंज अकन नम्बर वाला सर्टिफिकेट पा जथे फेर गुरुजी बने के पाछू चेला कर मुहलुकवा हो जाथे। का डिग्री ह गुरु के लच्छन आय? अनुभव, आचरन, बेवहार, पहिरावा ह कोई मायने नइ राखय। सिरतोन आय आज के पढ़ई लिखई के इस्तर बदल गेहे। फेर लइका काय सीखत हे ? एकर जिम्मेदार कोन हे? बिना परीच्छा देय गुरुजी बनाय के 10-15 बच्छर के नतीजा आय कि लइका ल आज बिना परीच्छा के पास करेबर परत हे अउ लइका अरदली, घुसलहा, अप्पढ़, जिद्दाहा, कमचोरहा हो गे हावय। आज परावेट इस्कूल मन के नकल करे जावत हे सरकारी इस्कूल ल ठेका मा देय के गोठ चलत हे।
परावेट इस्कूल मा गुरुजी भरती करेके मानदंड केवल परिच्छा नइ रहय।ओकर परीच्छन करे जाथे।जौन गुरुजी के लच्छन मा बने नइ बइठिस ओकर छुट्टी कर दिये जाथे।सरकारी इस्कूल मा अइसन नइ हे ,एक घांव गुरुजी बन गे ओ निकलेच नहीं।एकठन मरे मछरी तरीया ल बसियाथे ओइसने पूरा सिच्छक समाज ल बदनाम करथे। इस्कूल मा दारु पीके जाना, मास्टरिन अउ टूरी मन ले छेड़छाड़ ,मारपीट,गैरहाजिर के सिकायत आय दिन सुने बर आथे,जेन पूजनीय गुरुजी पद में बइठे मनखे ल नइ सोभाय। कतको नारी मास्टरिन बन गे फेर आचरन नइ बदलिस।सेखी,चारी, गरब अउ सिंगार मा फंस गे। पहिली गुरुजी मन अपन गुन ले चेला मन ल अपने सही अउ अपन ले बड़का बनाय के परयास करय। द्रोणाचार्य ह अर्जुन ल धनुर्धर बनाइस, संदीपनी ह कृष्ण ल 64 दिन मा 64 कला सिखाइन, विश्वामित्र ह राम लक्ष्मण ल दिव्य अस्त्र चलायबर सिखाइन ,देवगुरु बृहस्पति रच्छोध्र मंत्र के सोध करीन अउ दैत्यगुरु सुक्राचार्य ह मृतसंजीवनी के जनक आय। 30-40 बच्छर पहिली के गुरुजी मन मा नाच, गान, खेल कूद , साफ सफई, लिपई पोतई , बढ़ई काम सिखाय के सब गुन सबो गुरुजी मा रहय।आज हर बिसय, हर बिभाग के अलग अलग गुरुजी हावय फेर …..।यहू सिरतोन आय कि पहिली गुरुजी मन जादा दुखी भी नइ रहाय संतोसी रहय, आज के गुरुजी मन ल सरकार हदास कर देथे, सही तनखा नइ देना, सुभीता नइ मिलना, दुसर बुता मा लगाना, अधिकारी मन के अरदलीपन तेकर सेती आय दिन रैली, हड़ताल होवत रथे।उपर ले आदेस कि बीएड करे गुरुजी ल घलो डीएड करेबर परही, परीच्छा देयबर परही।अइसनो सिचछा बेवस्था बर सोचेबर परही।सिच्छा के इस्तर उठाय बर नीति घलाव ठीक करेबर परही।आज गुरुजी बने के परीच्छा अलग होथे अउ इस्कूल मा गुरुजी ल दूसर करेबर परथे।पालक यहू नइ जानय कि हमर गांव के गुरुजी कइसन होना चाहीअउ आय हे तौन गुरुजी कइसन हे।आज के सिच्छा नीति बदलगे हवय,लइका बदलगे हवय, पालक बदलगे हवय,तब गुरुजी बने बर परिच्छा देयबर परही।आज के बेवस्था मा कबीर के दोहा प्रासंगिक हवय।
एक अचंभा देखो रे भाई, ठाढ़ा सिंह चराबे गाई ।
पहले पूत पीछे माई, चेला के गुरु लागे पाई।
हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद
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